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قراءة كاملة فيشنو بوران في الهندية (विष्णु पुराण)
विष्णुपुराण अट्ठारह पुराणों में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण तथा प्राचीन है। यह श्री पराशर ऋषि द्वारा प्रणीत है। यह इसके प्रतिपाद्य भगवान विष्णु हैं، जो सृष्टि के आदिकारण، नित्य، अक्षय، अव्यय तथा एकरस हैं। इस पुराण में आकाश आदि भूतों का परिमाण، समुद्र، सूर्य आदि का परिमाण، पर्वत، देवतादि की उत्पत्ति، मन्वन्तर، कल्प-विभाग، सम्पूर्ण धर्म एवं देवर्षि तथा राजर्षियों के चरित्र का विशद वर्णन है। भगवान विष्णु प्रधान होने के बाद भी यह पुराण विष्णु और शिव के अभिन्नता का प्रतिपादक है। है पुराण में मुख्य रूप से श्रीकृष्ण चरित्र का वर्णन है، यद्यपि संक्षेप में राम कथा का उल्लेख भी प्राप्त होता है।
अष्टादश महापुराणों में श्रीविष्णुपुराण का स्थान बहुत ऊँचा है। इसमेंइसमें विषयों भूगोल के साथ श्री विष्णु पुराण में भी इस ब्रह्माण्ड की की उत्पत्ति، वर्ण व्यवस्था، आश्रम व्यवस्था، भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की सर्वव्यापकता، ध्रुव प्रह्लाद، वेनु، आदि राजाओं के वर्णन एवं उनकी जीवन गाथा، विकास की परम्परा، कृषि गोरक्षा आदि कार्यों का संचालन، भारत आदि नौ खण्ड मेदिनी، सप्त सागरों के वर्णन، अद्यः एवं अर्द्ध लोकों का वर्णन، चौदह विद्याओं، वैवस्वत मनु، इक्ष्वाकु، कश्यप، पुरुवंश، कुरुव ंश، यदुवंश के वर्णन، कल्पान्त के महाप्रलय का वर्णन आदि विषयों का विस्तृत विवेचन किया गया है। भक्ति और ज्ञान की प्रशान्त धारा तो इसमें सर्वत्र ही प्रच्छन्न रूप से बह रही है।
यद्यपि यह पुराण विष्णुपरक है तो भी भगवान शंकर के लिये इसमे कहीं भी अनुदार भाव प्रकट नहीं किया गया। है ग्रन्थ में शिवजी का प्रसंग सम्भवतः श्रीकृ्ष्ण बाणासुर संग्राम संग्राम में में ही आता है، सो वहाँ स्वयं भगवान कृष्ण महादेवजी के साथ अपनी अभिन्नता प्रकट करते हुए श्रीमुखसे कहते हैं हैं
"त्वया यदभयं दत्तं तद्दत्तमखिलं मया। मत्तोऽविभिन्नमात्मानं द्रुष्टुमर्हसि शंकर।
योऽहं स त्वं जगच्चेदं सदेवासुरमानुषम्। मत्तो नान्यदशेषं यत्तत्त्वं ज्ञातुमिहार्हसि। अविद्यामोहितात्मानः पुरुषा भिन्नदर्शिनः। वन्दति भेदं पश्यन्ति चावयोरन्तरं हर॥
"Vishnu Purana" (IAST: Viṣṇu Purāṇa) هو واحد من ثمانية عشر Mahapuranas ، وهو نوع من النصوص القديمة والهندوسية في القرون الوسطى. هو أحد نصوص بانشاثرا الهامة في مجموعة أدب فيشنافيسم.
وقد نجا مخطوطات فيشنو بورانا في العصر الحديث في العديد من الإصدارات. أكثر من أي من بورانا الكبرى الأخرى ، يعرض فيشنو بورانا محتوياته في شكل بانكالاسانا - Sarga (cosmogony) ، Pratisarga (cosmology) ، Vamśa (علم الأنساب الأسطوري للآلهة والحكماء والملوك) ، Manvañtara (الدورات الكونية) ، و Vamśānucaritam (أساطير خلال أوقات ملوك مختلفين). بعض مخطوطات النص ملحوظة لعدم تضمينها أجزاء موجودة في بورانا الرئيسية الأخرى ، مثل تلك الموجودة في المهاتماس والمرشدين السياحيين للحج ، لكن بعض الإصدارات تتضمن فصولاً عن المعابد وأدلة السفر إلى مواقع الحج المقدسة. كما أن النص بارز كما تم نشره في وقت مبكر من بورانا ونشره في عام 1864 م من قبل HH Wilson ، استنادا إلى المخطوطات التي كانت متوفرة آنذاك ، ووضع الافتراضات والمباني حول ما قد يكون Puranas.
إن Vishnu Purana هو من بين النصوص القصيرة في Purana ، مع حوالي 7000 آية في إصدارات موجودة. انها تركز في المقام الأول حول الإله الهندوسي فيشنو وصوره الرمزية مثل كريشنا ، لكنه يمدح براهما وشيفا ويؤكد أنها واحدة مع فيشنو. إن ولاية بورانا ، ولاية ويلسون ، هي وحدة الوجود والأفكار الموجودة فيها ، مثل غيرها من البورانا ، تقوم على المعتقدات والأفكار الفيدية.
Last updated on 09/10/2023
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Vishnu Puran in Hindi
1.7.0 by Banaka
09/10/2023